Friday, March 11, 2011

मंत्र का सन्दर्भयुक्त निर्वचन

मेरे पड़ोस में गृह प्रवेश के अवसर पर राम चरित मानस का अखंड पाठ। सम्पुट मन्त्र - "प्रविसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा॥" प्रवेश के सन्दर्भ में प्रथम दृष्टया यह मंत्र सुसंगत लगता है। किन्तु , यह चौपाई तो हनुमानजी के लंका प्रवेश के प्रसंग में कही गयी है और इसमें निहित आशीर्वाद अक्षय कुमार के वध और लंका दहन के रूप में फलीभूत हुआ था ! क्या पंडित जी घर का सादृश्य लंका से नहीं कर रहे ?

Sunday, March 6, 2011

सुर एवं असुर का अर्थ उल्टा है

वाल्मीकीय रामायण ( ४५/३७-३८ ) के अनुसार, वरुण की पुत्री वारूणी (सुरा की अभिमानिनी देवी) को दैत्यों ने ग्रहण नहीं किया इसलिए वे "असुर" कहलाये और सुरा सेवन करने के कारण ही देवता "सुर" कहलाये।

इन शब्दों का अर्थ कब और कैसे उलट गया , मुझे ज्ञात नहीं ।

राजा सगर के ६०,००० पुत्रों का निहितार्थ क्या है ?

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा सगर के साठ हजार पुत्र थे जो कपिल मुनि के शाप से भस्म हो गए थे । उनकी मुक्ति के लिए उनके वंशज भगीरथ ने तपस्या करके गंगा जी को धरती पर उतारा । वाल्मीकीय रामायण - बालकाण्ड, ३८/१७ के अनुसार, वे सभी साठ हजार पुत्र सगर की एक ही पत्नी "सुमति " से एक ही साथ पैदा हुए थे। सुमति ने एक गर्भपिण्ड को जन्म दिया जिसे फोड़ने से साठ हजार पुत्र निकले। कथा के इस भाग, अर्थात "६०,००० जुड़वां पुत्रों" का निहितार्थ मेरे समझ में नहीं आया !