Tuesday, October 4, 2011
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कानून जो जोड़ने का कार्य करे,विधिक शरीर जो स्वयं अनुशासित रहकर सबको स्वानुशासित रहने के लिए प्रेरित करे,मानसिकता जो संग्रह एवं प्रतिक्रिया के बजाय संतुलित उपभोग एवं सार्वजनिकता में सुख का अनुभव करे। शरीर के प्रत्येक अंग का पोषण आवश्यक है, यही बात समाज शरीर के बारे में भी लागू होती है। Vidhiyog or Yoga of Law is a creative approach giving top priority to discipline and harmony.One of it's meanings is- the Law or such legal interpretation that aims to unify.