Friday, January 15, 2010

25.चिंतन एवं क्रिया

मैंने संस्कृत के एक प्रोफेसर से सुना है कि संस्कृत व्याकरण के प्रणेता महर्षि पाणिनि को एक बाघ ने मार डाला था।जंगल में महर्षि पाणिनि विचारमग्न थे तब तक उनके शिष्य ने शेर को आते देखा और आवाज दिया - " गुरुदेव व्याघ्र: !" महर्षि पाणिनि स्वभाववश व्याघ्र शब्द का अर्थान्वयन करने लगे। उन्होंने कहा - "विशुद्ध रूपेण घ्राणयति: व्याघ्र:" अर्थात जिसकी घ्राण शक्ति तीव्र विशुद्ध हो उसे व्याघ्र कहते हैं इस प्राणी की विशेषता तो सूंघने की है अतएव , यह सूंघकर चला जायेगा। वे व्याघ्र शब्द के व्याकरणिक अर्थान्वयन में लगे रहे और बाघ उनको मारकर खा गया।

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