Saturday, February 6, 2010

प्रत्येक वस्तु तथा प्रत्येक व्यक्ति सम्माननीय है

हमारी भारतीय सनातन संस्कृति समरसता सामंजस्य पर आधारित है हमारी सभ्यता में कोई भी वस्तु या व्यक्ति उपेक्षणीय नहीं है। यहाँ तक कि हमारे शास्त्रों में झाड़ू को भी पैर से छूने की मनाही है।
कबीर साहब ने दिखावटी पूजा की आलोचना करते हुए फटकार लगाने की रौ में कह दिया था कि, "घर की चाकी कोई पूजे जाकी पीसी खाय" किन्तु, यह यथार्थ नहींहै। हमारे गांवों में चूल्हा ,चक्की, सिल-बट्टा , ओखली-मूसल, हल, बैल इत्यादि सबको पूजने की परंपरा रही है और आज भी है ।

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