Tuesday, April 26, 2011

छुद्र आलोचनाएँ



"ढोल गंवार शूद्र पशु नारी , ये सब ताड़न के अधिकारी ।" क्या तुलसीदास ने केवल इतना ही लिखा है ?
"विभिन्न वर्णों के लिए अलग - अलग दंड।" क्या मनु स्मृति में केवल इतना ही लिखा है ?
यदि मैं भी केवल एक वाक्य या एक अध्याय पकड़ लूँ तो कहूँगा कि मनु ब्राह्मणों के लिए बेहद क्रूर थे। उन्होंने मदिरापान करने पर ब्राह्मण के लिए मृत्यु दंड का प्रावधान किया । और उस मृत्युदंड का तरीका ? - ऐसा ब्रह्मण खौलता हुआ तेल तब तक पिए जब तक उसकी मृत्यु न हो जाय !
मेरी राय में सरकार और शैक्षिक संस्थाएं यदि सामाजिक समरसता के प्रति लेश मात्र भी अपनी जिम्मेदारी समझती हैं, तो प्रत्येक स्तर के विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से निर्वचन के सिद्धांत पढ़ाये जाने चाहिए।

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