अच्छी बातें सबके लिए सम्माननीय और अनुकरणीय हैं - वे चाहे जिस किसी भी किताब या धर्म ग्रन्थ में लिखी हों। जो अभियान सबके हित में हो उसका समर्थन होना ही चाहिए, वह चाहे किसी भी व्यक्ति, संगठन या पार्टी द्वारा शुरू किया गया हो। भ्रष्टाचार और काले धन के विरुद्ध उठाई जा रही आवाज को इस आधार पर दरकिनार नहीं किया जा सकता कि उसका पहल किसी विशेष समुदाय के लोगों ने किया या वह किसी विशेष संगठन द्वारा समर्थित है।
"फूट डालो -राज करो" की नीति से हम सबको सावधान रहने की जरुरत है। क्या भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और काले धन की देश वापसी से मुसलामानों, ईसाईयों और अन्य मतावलंबियों को फायदा नहीं होगा ? सरकार या कुछ स्वार्थी राजनेता यह कह दें कि, इस मुद्दे के पीछे आर एस एस का हाथ है तो आर एस एस को नापसंद करने वाले भाईयों को क्या इस मुद्दे से अलग हो जाना चाहिए ? अपने देश का धन विदेशों में जमा करने वाले डरपोक चोरों गद्दारों से हमारा कहना है कि हिन्दुस्तान की जनता इतनी नादान नहीं है कि उसमें ऐसे सर्वांगीण हित के अभियान में धर्म के आधार पर फूट डाली जा सके।
118. Disputes relating to ownership and possession
10 years ago
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