
मुकदमों तथा मुकदमेबाजी को कम करने के जितने भी उपाय किये जा रहे हैं वे मुकदमों की बढ़ती तादात के सामने बौने साबित हो रहे हैं। जाने कितने लोग न्याय व अंतिम निर्णय की आस में जीवन बिता देते है, उनकी अगली पीढ़ी का भी जीवन बीत जाता है। विशेषतया, भाई बंधुओं के बीच मुक़दमेबाजी में तो हर कोई हारता है, वास्तव में दोनों ही पक्ष हारते है। अंतिम निर्णय अर्थात मुकदमेबाजी के अवसान पर जीतने वाला भी अपनी बर्बादी की तुलना में कुछ नहीं पाता । मुकदमेबाजी को कम करने के लिए केवल सरकारी प्रयास से समस्या का निदान संभव नहीं है।
विद्वेष और मुकदमेबाजी की मानसिकता के विरुद्ध हमारा नारा है:
"मुक़दमे ने तुमको मारा, इस मुक़दमे को
मार डालो !"
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