जैसा राजा वैसी प्रजा । भगवद्गीता में कहा है -" यद्यद्याचरते श्रेष्ठस्तदतदेवेतरो जना:, स यत प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते"- अर्थात श्रेष्ठ लोग (वर्तमान सन्दर्भ में नेता ) जैसा आचरण करते हैं उसी का अनुकरण जनता भी करती है । शुक्र नीति में भी कहा है- "आचार प्रेरको राजा ...."।
अच्छाई व बुराई दोनों सामान्यतया शासक वर्ग से ही उत्पन्न होती हैं । क़ानून की वास्तविक शक्ति अधिनियम के कठोर प्रावधानों में नहीं होती । अपितु, यह बात अधिक महत्वपूर्ण होती है कि क़ानून की रगों में किसका रक्त प्रवाहित हो रहा है और इसके पोषणकर्ता, व्याख्याता तथा प्रयोक्ता कौन हैं ।
118. Disputes relating to ownership and possession
11 years ago
please go to http://madhyasth-darshan.blogspot.com/ for more details about the facts
ReplyDelete