Saturday, February 6, 2010

वर्तमानोपनिषद


हम वर्तमान को पकड़ लें तो भविष्य को नियंत्रित कर सकते हैं और भूत का शोधन कर सकते हैं
हम वर्तमान को जान लें तो भविष्य एवं भूत का स्वरुप स्पष्ट हो जायेगा

वर्तमान
को जानने से सब कुछ जाना हुआ हो जाता है।

योगी वर्तमान में स्थित रहता है, इसीलिए त्रिकालज्ञ होता है।
ध्यान
तथा प्राण साधना द्वारा साधक वर्तमान को ही पकड़ने का अभ्यास करता है
तीनों कालों में वर्तमान ही प्रधान है , यही भूत और भविष्य में भी व्याप्त है
वर्तमान में रहने वाला भविष्य में भी रहता है, अमर होता है
वर्तमान ब्रह्म हैब्रह्म वर्तमान हैब्रह्म वर्तमान है
हम वर्तमान ब्रह्म की पूजा करें

[ कृपया इस सन्देश के लिए उचित शीर्षक सुझाएँयथा : वर्तमानोपनिषद , वर्तमान ब्रह्म, कालाष्टकम ( क्योकि उक्त सन्देश में आठ पंक्तियाँ है ) या अन्य कोई ]

1 comment:

  1. Hello sir, can u fight a cse of Delhi..i mean do u practise in delhi too???? its a divorce case filed by my husband

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