वह जो वाद पत्र है, मैं हूँ। वह जो प्रतिवादपत्र है, मैं हूँ। वह जो बहस कर रहा है, मैं हूँ। वह जो न्यायकर्त्ता है, मैं हूँ । इन सबसे श्रेष्ठ जो वाद विन्दु है, वह भी मै ही हूँ, जैसा कि गीता के दसवें अध्याय में कहा - "वादः प्रवदतामहम"।
(नोट- तकनीकी कारणों से हलंत नहीं लग पा रहा है )
118. Disputes relating to ownership and possession
11 years ago
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