Saturday, March 19, 2011

समुद्र मंथन कथा का मुख्य अभिप्राय

श्रीमद्भागवत /१२/४६-४७ में समुद्र मंथन की कथा का माहात्म्य बताते हुए कहा है कि, इसे पढ़ने - सुनने वाले का उद्यम कभी व्यर्थ नहीं जाताइससे पूर्व //१८ में यह भी कह दिया गया है कि, समुद्र मंथन से सबसे पहले विष उत्पन्न हुआ थाअभिप्राय यह है कि, अच्छे उद्देश्य से किये जा रहे उद्यम को प्रारंभिक परिणाम के आधार पर बंद नहीं करना चाहिए

1 comment:

  1. Exactly,
    Jo vish ka grahan karte hai, wo neelkanth hai.
    Ashutosh

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