फाल्गुन पूर्णिमा के चाँद के प्रभाव के बारे में वैज्ञानिकों एवं ज्योतिषियों द्वारा तमाम नकारात्मक एवं अशुभ भविष्यवाणियाँ की जा रही हैं। वैज्ञानिकों की तकनीकी एवं प्रायोगिक सीमा है। किन्तु, ज्योतिष का विषय क्षेत्र अधिक विस्तृत है। मैं ज्योतिष का विद्यार्थी नहीं हूँ, ज्योतिष की प्रामाणिकता के बारे में भी कोई दृढ़ राय नहीं रखता। इतना जानता हूँ कि ज्योतिष में चन्द्रमा को मन एवं तरल पदार्थों का स्वामी कहा जाता है । पूर्णिमा को ये तत्त्व अधिक संवेदनशील हो उठते हैं । आज की पूर्णिमा का चाँद सामान्य पूर्णिमा से १६% अधिक बड़ा एवं पृथ्वी के अधिक निकट है। इसी आधार पर प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी की जा रही है।
ज्योतिष के विद्वानों के लेखों के आधार पर मैं सामान्य प्रज्ञा से इतना कहना चाहता हूँ कि यदि चन्द्रमा के विशेष प्रभाव पृथ्वी पर पड़ने वाले हैं, तो जिन -जिन चीजों को वह प्रभावित करता है उन सबमें तीव्र उद्वेलन की प्रबल सम्भावना है। यह केवल नकारात्मक नहीं है जैसा कि अखबारों में भरा हुआ है। मेरा मानना है कि जिस व्यक्ति या वस्तु की जो स्वाभाविक प्रवृत्ति है उसकी संवेदन शक्ति अधिक बढ़ जाएगी। किन्तु चोरी बेईमानी इत्यादि दुष्प्रवृत्तियाँ कम सक्रिय रहेंगी क्योकि चन्द्रमा अधिक बड़ा और अधिक प्रकाशवान है। सत्ववृत्ति का प्रभाव बढ़ेगा और तमोगुण का ह्रास होगा। रचनाकार श्रेष्ठ रचनाएं करेंगे, न्यायालयों से भावात्मक एवं श्रेष्ठ निर्णय आयेंगे, न्याय कानून पर अधिभावी रहेगा अर्थात अंतरात्मा एवं सद्विवेक पर आधारित निर्णय अधिक आयेंगे, उच्चतम न्यायालय संविधान के अनु० १४२ की शक्तियों का पहले से अधिक प्रयोग करेगा, विधायिका लोक कल्याणकारी एवं चरित्र नियामक कानून बनाएगी, न्यायाधीशों की नियुक्तियों में अन्य योग्यताओं की तुलना में सच्चरित्रता और सत्यनिष्ठा को अधिक महत्व दिया जायेगा, सच्चे लोगों की सच्चाई तथा बेईमानों व फरेबियों के झूठ उभरकर सामने आने लगेंगे - इत्यादि इत्यादि। यदि कुछ ध्वंस होगा, तो वह सशक्त नवनिर्माण के लिए ही होगा।
देखना है कि निकट भविष्य में तुलनात्मक रूप से वैज्ञानिकों एवं ज्योतिषियों की डरावनी भविष्यवाणियों तथा विधियोग के उक्त आकलन के अनुरूप क्या घटित होता है और कौन अधिक सही साबित होता है !
मेरा यह आकलन विधियोग के सकारात्मक दृष्टिकोण के मद्देनजर है। मैं अपने ज्योतिषी मित्रों से आग्रह करूँगा कि ज्योतिष की एक शाखा के रूप में विधिक ज्योतिष (Legastrology) को स्थापित करते हुए उक्त संकेतों के परिप्रेक्ष्य में तार्किक शोध करने का प्रयास करें।
ज्योतिष के विद्वानों के लेखों के आधार पर मैं सामान्य प्रज्ञा से इतना कहना चाहता हूँ कि यदि चन्द्रमा के विशेष प्रभाव पृथ्वी पर पड़ने वाले हैं, तो जिन -जिन चीजों को वह प्रभावित करता है उन सबमें तीव्र उद्वेलन की प्रबल सम्भावना है। यह केवल नकारात्मक नहीं है जैसा कि अखबारों में भरा हुआ है। मेरा मानना है कि जिस व्यक्ति या वस्तु की जो स्वाभाविक प्रवृत्ति है उसकी संवेदन शक्ति अधिक बढ़ जाएगी। किन्तु चोरी बेईमानी इत्यादि दुष्प्रवृत्तियाँ कम सक्रिय रहेंगी क्योकि चन्द्रमा अधिक बड़ा और अधिक प्रकाशवान है। सत्ववृत्ति का प्रभाव बढ़ेगा और तमोगुण का ह्रास होगा। रचनाकार श्रेष्ठ रचनाएं करेंगे, न्यायालयों से भावात्मक एवं श्रेष्ठ निर्णय आयेंगे, न्याय कानून पर अधिभावी रहेगा अर्थात अंतरात्मा एवं सद्विवेक पर आधारित निर्णय अधिक आयेंगे, उच्चतम न्यायालय संविधान के अनु० १४२ की शक्तियों का पहले से अधिक प्रयोग करेगा, विधायिका लोक कल्याणकारी एवं चरित्र नियामक कानून बनाएगी, न्यायाधीशों की नियुक्तियों में अन्य योग्यताओं की तुलना में सच्चरित्रता और सत्यनिष्ठा को अधिक महत्व दिया जायेगा, सच्चे लोगों की सच्चाई तथा बेईमानों व फरेबियों के झूठ उभरकर सामने आने लगेंगे - इत्यादि इत्यादि। यदि कुछ ध्वंस होगा, तो वह सशक्त नवनिर्माण के लिए ही होगा।
देखना है कि निकट भविष्य में तुलनात्मक रूप से वैज्ञानिकों एवं ज्योतिषियों की डरावनी भविष्यवाणियों तथा विधियोग के उक्त आकलन के अनुरूप क्या घटित होता है और कौन अधिक सही साबित होता है !
मेरा यह आकलन विधियोग के सकारात्मक दृष्टिकोण के मद्देनजर है। मैं अपने ज्योतिषी मित्रों से आग्रह करूँगा कि ज्योतिष की एक शाखा के रूप में विधिक ज्योतिष (Legastrology) को स्थापित करते हुए उक्त संकेतों के परिप्रेक्ष्य में तार्किक शोध करने का प्रयास करें।
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